बंधन है ये प्यारा सा, अटूट प्यार का बंधन है
कौन कहे ये एक का, यह तो सौ जन्मो का संगम है
दुनिया बाकि, है एक सपना,अपने ही बस सत्य है अपना
इन्हे छोड़कर कहाँ जायेंगे, यह तो प्रेम अबंधन है
कभी माँ के रूप मे ख़न खन करता, उसके हाथो का कंगन है
कभी पिता की सोच में होता, अपनों का ही मंथन है
रिश्तो की कीमत का ये, परिवार सार है सारा
छोटे बड़े सब रिश्तो के ही , प्रेम का बड़ा गठबंधन है
वो ऊपर बैठा मालिक ही करता, रिश्तो का निबंधन है
ना मानो तो गैर समझलो, मानो तो माथे का चन्दन है
अपनों को तुम दिल में समा लो, खुद को उनके दिल में बसा दो
जो उसने नवाज़ा है हमें परिवार, हम करते उसका अभिनन्दन है
- Swapna Sharna
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