मिट्टी से जुड़कर के तू इन खेतों में लहराए है।
सुखी सी बंजर जमीं को उपजाऊ बनाए है ।
तेरो इन सर्घषो में तेरी भी विजय हो ।
जय हो किसान तेरी सदा सदा ही जय हो ।
भुखा खुद रह करके तू हम सबके पेट भराए है।
दिन रात कि अपनी मेहनत से हम को रोटी तू खिलाए है
इस भूख मिटाने कि दौड़ में तेरी जीत तय हो ।
जय हो किसान तेरी सदा सदा ही जय हो ।
गांव कि गर्मी सहकर तू जो अपना जिस्म जलाए है ।
ऐ.सी. की ठंडक में हमको चैन की नींद सुलाए है ।
हर तरफ इस अन्धकार में तेरी भी सुबह है ।
जय हो किसान तेरी सदा सदा ही जय हो ।
सारे सुख ये छोड के तू जो अपना जीवन बिताए है
अपनी इस हस्ती पे हम बेमतलब ही इतराए है ।
अस्त व्यस्त से इस जीवन में तेरा भी समय हो ।
जय हो किसान तेरी सदा सदा ही जय हो ।
-Swapna Sharma
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