हो सुवर्ण सार, सजदे में झुकता सर है, तेरे ही नाम ये सलाम मेरा है
देश भक्ति में जो यह तेरी पराकाष्ठा है, तेरे ही नाम यह प्रणाम मेरा है
वात्सल्य छोड़, जो सरहद पर लड़े हो तुम अर्जुन के भांति
मर कर भी रहोगे आयुष्मान दिलों में, यह बयान मेरा है
हो विमल विजय वीर इस देश के तुम , तेरे ही नाम यह सम्मान मेरा है
तेरी निश्चल जो भक्ति सपूत भारत के, तेरे ही नाम यह नमाम मेरा है
देश के प्रकाश हो जो, तुम चमकोगे उजले दिनकर के भांति
जन्मे हो भारतवर्ष में, तुममें ही सत्य निष्ठा यह गुमान मेरा है
जो उत्कृष्ट उपहार उत्साह ही है तेरा, तेरे ही नाम यह ऐलान मेरा है
आभा हो, इस मिट्टी मेरे भारत की तुम, कहती हूं मैं ये जुबान मेरा है
वीरगति प्राप्त कर, मंतव्य पूरा करे हो, एक वीर के भांति
हर मां जन्मे,इस मिट्टी में बेटा तुमसा, यह अरमान मेरा है
सुवर्ण - सोना, सार - रस, सजदे - पूजा पराकाष्ठा - चरम सीमा,
वात्सल्य - माँ बाप का प्रेम,
प्रणाम - नमस्कार, आयुष्मान - दीर्घायु
विमल - स्वच्छ, विजय - जीत, दिनकर - सूरज उत्कृष्ट - श्रेष्ट,
उपहार - तोहफा, मंतव्य - उदेश्य
-Swapna Sharma
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