इकलौता था माँ बाप का मुझे तो चिराग बनना ही पड़ा
गिरा तो था कई बार मैं पर गिरते गिरते सम्हालना ही पड़ा
उनकी उम्मीदों के ख्वाबो का बस एक मैं ही तो सहारा था
इस सहारे को लाठी बन इस सफर में साथ चलना ही पड़ा
जो बना था चिराग उनका मैं तो मुझे कभी जलना भी पड़ा
अपना हर दुख छुपा कभी रोते रोते मुझे यूँ हंसना भी पड़ा
उनकी खुशियों के समंदर का बस एक मैं ही तो पिटारा था
इस पिटारे चिराग को इस सफर में कभी पिघलना भी पड़ा
- Swapna Sharma
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