झूठे ये रिश्ते सारे, इन झूठो को मनाए कौन
इनके झूठ में हां भर के झूठी बातें फिर बनाये कौन
अपनों के नकाब में यहां पराए घूमते हैं
इनकी झूठी बातों को दिल से अब लगाए कौन
हम पर हंसने वाले इन रिश्तो को दर्द सुनाये कौन
एक बार खुद पर हंसता देख उन बातों को दोहराए कौन
किसी की हंसी हमारे इरादे क्यों कमजोर करें
ईमान जिनका सो चुका किस में दम उसको जगाए कौन
मन तो भुला देने को करता है, पर अपने हैं भुलाए कौन
असलियत तो जानते हैं, फिर भी इन्हें आजमाएं कौन
आज़माके तो दर्द खुद को ही मिलता है जनाब
खुद ही खुद के दर्द का जिम्मेदार कहलाये कौन
- Swapna Sharma
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