तुम छुपा ना सकोगे में वो राज़.. हूं
तेरे दिल में धड़कता हुआ साज..हूं
लाख रखोगे ओझल यूं करके मुझे
तेरे भावो में दिखता तेरा मिज़ाज हूं
तुम अपना ना सकोगे में वो नाज़...हूं
तुझे सह कर खामोश बैठा लिहाज़ हूं
यूं तुझसे खाफा होना भी लाज़मी...है
तेरी झूठी वफा से में कुछ नाराज़...हूं
- Swapna Sharma
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