अंधेरी रात में जब तेज उजाले ने जनम लिया
एक चिराग ने कहीं जब दो घरों को रोशन किया
तब जाकर कन्हईया तेरी अनेकों गाथाए सुनी है हमनें
धरम का पाठ सीखा है जो सिखाया है तुमने
पित मातु स्वामी हो तुम , गोविन्दा तुम ही सखा हमारे
गोकुल में चमके हो तुम, होकर के मथुरा के तारे
बंदीगृह के हो अवतारी,जन्मे मथुरा गोकुल पले मुरारी
देवकी जाए ,यशोदा कहाए कान्हा अदभुत हर बात तुम्हारी
हर पड़ाव तेरे जीवन का,किसी के जीवन को उद्धारे
नस्मस्तक है हम ओ भगवन,जन बनकर तुम आज पधारे
- Swapna Sharma
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