मिट्टी सी काया


मिट्टी की सी काया तेरी , ढालेगा जैसे ढल जायेगी
मेहनत कर्म और अच्छे मन से सीचेगा , सच्ची बन पाएगी
इसका ना कोई रूप है अपना , ना कोई काया लेकर आती
जिस सांचे में तू ढाले इसको उस सांचे में है ये ढल जाती
- Swapna Sharma

Share

& Comment

0 Comments:

एक टिप्पणी भेजें

 

Copyright © 2015 Kavyagar.com™ is a registered trademark.

Designed by Templateism | Templatelib. Hosted on Blogger Platform.