मिट्टी की सी काया तेरी , ढालेगा जैसे ढल जायेगी
मेहनत कर्म और अच्छे मन से सीचेगा , सच्ची बन पाएगी
इसका ना कोई रूप है अपना , ना कोई काया लेकर आती
जिस सांचे में तू ढाले इसको उस सांचे में है ये ढल जाती
- Swapna Sharma
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