तेरे बिना ये अंधेरा, मुझे डराता धमकाता है
अंधेरे रास्तों में भी ना किरण कोई चमकता है
ओ चंदा तेरे दर्श से मेरे रास्तों को राहें मिलती है
इस मावस के अंधियारे में तू किधर चला जाता है
तेरी किरण जैसे इन रास्तों में मुझे कोई चलाता है
भड़ना ही जीवन है ये बात ... मुझे कोई बतलाता हैं
अंधकार से लडने की .....जो ताक़त तुझसे मिलती है
इस मावस के अंधियारे में ........तू किधर चला जाता है
मावास के बाद जब तू खुद को धीरे धीरे बनाता है
मिट कर फिर पूरा चमकना जब दुनिया को समझाता है
सीख कर भी तुझसे बनना आदमी फिर से बहक जाता है
इस मावस के अंधियारे में तू............. किधर चला जाता है
- Swapna Sharma
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