बेखबर

खफा खफा से यहां अपने घूमते है
ना जाने जिंदगी का ये सफर कैसा है

यूं तन्हा तन्हा जीने में हुज़ूर क्या मज़ा
ये आदमी को आदमी से डर कैसा है

वीरान सा जीया जाता है यहां हर इंसान
अपनी ही किसी धुन में ये बेखबर कैसा है
- Swapna Sharma

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