धुंध के प्रभंजन
जिस रास्ते ना सोचा था उस रास्ते भी कभी जाना पड़ता है मंज़िल चल के नहीं आती,जा करके उसको पाना पड़ता है
जो हौसलों के इरादे पक्के किए है जीवन में कुछ पाने को
तो निखारने को हीरे सा ,ठोकर भी कभी खाना पड़ता है
परिवर्तन लाने को भी कभी जज्बातों को दबाना पड़ता है
धुंध के प्रभंजन में भी ,आंखो को सच दिखाना पड़ता है
पीना गर अतुल जीवन शुभा ,तो भड़ों अभय बन जाने को
पाने को लक्ष्य अपना तिनका तिनका भी जुटाना पड़ता है
प्रभा जीतने को कभी मन को हारना भी सिखाना पड़ता है
तम कितना भी घोर क्यू ना हो कोमुदि को आना पड़ता है
प्रभांजना - तूफान
अतुल - सुंदर
शुभा - अमृत
अभय - निडर
प्रभा - उन्नति
तम - अंधेरा
कोमुदी - चांदनी
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