कहां गए वो दिन कहां गई वो रात ना पूछो
चैन भी उड़ा के ले गई जो वो बात ना पूछो
गहरे थे ज़ख्म मेरे बस वो वक़्त ने भर दिए
कहां कहां खाई मैंने जिंदगी से लात ना पूछो
जब भीगे थे सुकून से की वो बरसात ना पूछो
उस गहरे काले बादल की तुम औकात ना पूछो
बचपन बिताया था जवानी के इंतजार में हमने
जवानी भी जो लायी है तुम वो सौगात ना पूछो
- Swapna Sharma
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