लिख दूं


लिख दूं

कागज पर कलम से .मै जिंदगी का मुझे आजमाना लिख दूं
गिरकर खड़ी हुई. जितनी दफा उतना मुझे गिराना लिख दूं
गिरकर फिर उठने के ..मेरे हर एक जज्बे की कोशिश का 
उस नासमझ के नाम हर बार उसका हार जाना लिख दूं

जुगनू बन अंधेरे से ........निकलने का मै रास्ता लिख दूं
अंधेरी रातों का...... है जो सूरज से मै वो वास्ता लिख दूं
हर किरण सूरज की .....चमकाएगी इस कदर  जिंदगी को सारे दुख दफन होंगे...कभी मेरे डट के जीने दास्तां लिख दूं
- Swapna Sharma

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