रात यू ही निकाल जायेगी चलते चलते
शमा रोशनी कर जायेगी जलते जलते
जो ये सूरज निकला है अपना तेज लेकर
ये धूप यूं ही छुप जाएगी शाम ढलते ढलते
सब्र रख, बीज अभी अभी जो ये बोया है
छवि पौधे से पेड़ बन जाएगी पलते पलते
जो सोचा है निश्चित कर उससे पूरा कर ले
उम्र निकल जायेगी यूं ही टलते टलते
जो चाहा है उससे पाने का हुनर रख
बिना जज्बा जिन्दगी रह जायेगी हाथ मलते मलते
इबादत खुदा की कर ,कभी निराश मत होना
दुआओं में कभी जो देर लग जायेगी फलते फलते
- Swapna Sharma
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